बुधवार, 4 अप्रैल 2012

NAINITAL LAKE नैनीताल झील


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आप सब नैनीताल शहर व इसके आसपास के मुख्य स्थलों की सैर कई लेखों से कर ही रहे है, लेकिन जिस खास नाम के कारण उतराखण्ड के कुमाऊँ क्षेत्र में नैनीताल का बहुत नाम है, देश के प्रमुख पहाडी नगरों में नैनीताल की गिनती भी की जाती है। आज मैं आपको उस स्थल की भी सैर करवा रहा हूँ। नैनीताल में हिमालय का प्राकृतिक सौंदर्य तो भरा हुआ है साथ ही यहां झीलों की भरमार भी है, नैनीताल शहर को झीलों की नगरी तो कहा ही जाता है। यहाँ की शान नैनी झील अति प्रतिष्ठित सुन्दर झील है। जी हाँ आप सही समझे आज आपको नैनी झील की सैर करायी जा रही है। यहाँ आने पर हमने पाया कि नैनीताल झील चारों ओर से पहाडियों से घिरी हुई है। सम्पूर्ण नगर भी इस ताल के चारों ओर ही बसा हुआ है। झील के साथ लगता हुआ हॉकी का मैदान है, मैदान के पीछे ही मस्जिद बनी हुई है। नैनीताल इलाके में पहले कभी 60 ताल हुआ करते थे। आज भी नैनीताल जिले में सबसे अधिक ताल हैं। यहाँ पर 'नैनी ताल' नामक झील जो नैनीताल शहर में ही है, यहाँ का यह मुख्य आकर्षण केन्द्र है। कार से उतरने के बाद हम तीनों ने झील की सैर करने की योजना बनायी। जिस जगह से नाव किराये पर मिलती थी हम तीनों उस जगह की ओर चल दिये। मार्ग में एक जगह एक बन्दा जामुन की बिक्री कर रहा था। जब उससे जामुन का रेट पता किया तो उसने बताया कि 300 रु किलो, उसने बीस-बीस रु के कागज के कप जैसे भी बनाये हुए थे जिसमें रख कर वह जामुन बेच रहा था। अगर मैं अकेला होता तो कभी ना लेता, लेकिन हमारे साथ एक पहुँचे हुए महाराज जो थे वो माने ही नहीं उन्होंने एक कप जामुन ले ही ली, जामुन वाले कि बदमाशी देखिये कि उसने जामुन जिस कागज के कप में दी थी वो देखने में तो चाय पर मिलने वाले कांच के गिलास जितने आकार का था, हमारे दोस्त ने सोचा था कि चलो एक गिलास जामुन चखने के लिये बहुत रहेंगी। लेकिन गजब हो गया, जब उस गिलास में से आधा गिलास भी खाली नहीं हो पाया था तो जामुन समाप्त हो गयी। अपने पहुँचे हुए दोस्त ने आश्चर्य के साथ हमारी ओर देखा, हमने कहा क्या हुआ, जब उसने दिखाया कि यह देखो जामुन वाले की चालाकी इस कागज के गिलास में आधे में कागज भरा हुआ है आधा ही जामुन से भरा हुआ था। उस जामुन वाले की चालाकी देख कर मुझे भी अजीब लगा कि दुनिया में कैसे-कैसे लोग भरे पडॆ है। जामुन के बाद बारी आयी भुट्टा बोले तो कुकडी खाने की। मैंने एक भुट्टा लेकर खाना शुरु कर दिया। भुट्टा पेट में जाता रहा, हम धीरे-धीरे पैदल चलते रहे। 


ऊँचाई से झील का नजारा

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